Saturday, November 27, 2010

दूर की बात


देशपाल सिंह पंवार

एक प्रसिद्ध कहावत है-मुर्दा व मूर्ख ही विचार नहीं बदलते । समय से पहले विचार बदलने और वैसा ही करने वाले दूरंदेशी कहलाते हैं। जिम्मेदारी पाते नहीं लेते हैं और उसे निभाते हैं। यही असली लीडर बनते हैं, जो बदलाव लाते हैं। समाज में भी। देश में भी। समय पर विचार बदलने और वैसा करने वाले समजदार कहला जाते हैं। जिम्मेदारी पाते हैं,उसे निभाकर साख कायम करने में सफल हो जाते हैं। इतिहास से सबक सीखकर लीडर भी बन जाते हैं। समय के बाद विचार बदलने वाले अवसरवादी तो कहलाते ही हैं,ठगे से भी रह जाते हैं पर अपनी गलतियों का अगर एहसास कर लेतें हैं तो फिर जीरो से नई पारी शुरू करते हैं। तमाम विपरीत परिस्थितियों व अपमान झलने के बावजूद मेहनत से इस लायक खुद को बना लेतें हैं कि कोई उन्हें जिम्मेवारी लायक समझने लगता है। मिलने पर ऐसे चेहरे आगे बढ़ जाते हैं। पर तमाम ऐसे होते हैं जो कभी विचार नहीं बदलते ता जिंदगी वही लकीर पीटते रह जाते हैं। नतीजा कंही के नहीं रहते। भ्रम में जीना ऐसों की आदत बन जाती है। यही भ्रम उन्हें ले डूबता है। वो ये भूल जाते हैं कि इतिहास को ·भी सिखाया नहीं जा सकता बस उससे सीखा ही जा सकता है। पर यहां भी उनके अंदर सबसे ज्यादा ज्ञानी व सिखाने वाले का भ्रम हमेशा रहता है जो सीखने की इजाजत कभी नहीं देता। बिहार चुनाव में इस कहावत के सारे सीन दोहराए गए।

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