दशकों के ये सारे जागी
पत्रकारिता पर वारे रागी
दिखने लगे प्यारे दागी
दुबक गए हारे बागी
Thursday, December 2, 2010
सवाल जद और हद का
मेहनत से पाया पद
अहंकार से आया मद
मनमर्जी से हो गया बद
खुदगर्जी से गंवाया कद
दिन गए लद-पिटती भद
अहंकार से आया मद
मनमर्जी से हो गया बद
खुदगर्जी से गंवाया कद
दिन गए लद-पिटती भद
तत
ऐसी बुरी लागी लत
पत्रकारिता में गए रत
शब्दों ने बिगाड़ी गत
झूटी दिखतीं सारी बत.
..अपनों के बदले मत
कोई नहीं लिखता खत
घूरती रहती है छत
पत्रकारिता में गए रत
शब्दों ने बिगाड़ी गत
झूटी दिखतीं सारी बत.
..अपनों के बदले मत
कोई नहीं लिखता खत
घूरती रहती है छत
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