ये करप्शन का जाल है।
खास के पास माल है।
मास बेचारा कंगाल है।
सबका सूखा गाल है।।
सत्ता की मोटी खाल है।
विपक्ष की खोटी चाल है।
हाकिम की गोटी लाल है।
खादिम बिन रोटी बेहाल है।।
अन्ना गरीब की ढाल हैं।
अब सबको रहे पाल हैं।
पर सबके उड रहे बाल हैं।
अब अच्छे नहीं हाल हैं।।
अगर सारा देश अन्ना की आवाज पर लाल है। एक पुकार पर सब हुंकार लगा रहे हैं तो इस बात की क्या गारंटी है कि नारे लगाने वाले सारे दूध के धुले अन्ना के प्यारे हैं? यानि करप्ट नहीं हैं? इस बात के चांस ज्यादा हैं कि कोई करप्ट ना कह दे इस वजह से हो सकता है कि दागी चेहरे ज्यादा डांस में मस्त हों। सब अन्नामय हों। अगर ऐसा है तो फिर कैसे माना जाए कि अन्ना संग सब सही-जो वे कहे सब सही-बाकी कुछ नहीं। खुदा करे कि अन्ना के आंदोलन के संग कोई करप्ट ना हो। अगर ऐसा है तो फिर अन्ना के साथ सारा देश कैसे हो सकता है? करप्ट कहां जाएंगे? अगर अन्ना एंड पार्टी ये मानती है कि सारा देश उनके साथ है तो फिर करप्शन रहा कहां? फिर कैसी लड़ाई? अगर नहीं तो फिर मंच से अहिंसा के साथ-साथ अन्ना और उनकी टीम ये जरूर कहे कि जो सही है , जो करप्ट नहीं है, जिसने कदापि कोई पाप नहीं किया है,वही यहां आए-मेरे संग करप्शन विरोधी गीत गाए-नया हिंदुस्तान बनाए। अगर सबने जमीर की बात सुनी और बाल्मीकि बनने की राह अपनाई तो ..। हकीकत ये है कि क्राउड की चाह की राह पर करप्ट और गैर करप्ट की थाह पाने का कोई पैमाना कम से कम ऐसे मूवमेंट के दौरान किसी के पास नहीं होता। अन्ना करप्शन के खिलाफ सबसे बड़े ब्रांड हैं और उनकी टीम के पास अन्ना हैं। या कहा जाए सबके पास अन्ना हैं। जिनके पास अन्ना नहीं वे देशप्रेमी नहीं।
कुछ सवाल
मैं अन्ना की मांग के फेवर में बोलंू ,जमकर मुंह खोलूं तो असली हिंदुस्तानी कहलाऊंगा। सही व्यक्ति कहलाऊंगा। ईमानदार कहलाऊंगा। अगर चुप रहा तो करप्ट कहलाऊंगा। खिलाफ बोलूं तो कांग्रेसी कहलाऊंगा। क्या करूं? मैं इस फेवर में हूं कि करप्शन ना रहे। मैं इस फेवर में हूं कि एक मजबूत लोकपाल बिल बनें। जो अन्ना चाहते हैं वो सब उसमें हो पर जब मामला हठ में बदल जाए और उसकी रट से देश पट होता नजर आए तो फिर क्या किया जाए? अब मांग से ज्यादा हठ झलकने लगी है। जो सही नहीं। कम से कम मेरे हिसाब से। ईश्वर ना करे अन्ना को कुछ हो, अगर अन्ना को कुछ हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा? कांग्रेस, मनमोहन सरकार या फिर सिविल सोसायटी? अगर कांग्रेस और सरकार दोषी होगी तो क्या हजारे के पंज प्यारे इससे बच पाएंगे? फिर इस बात की गारंटी कौन लेगा कि कहीं कोई हिंसा नहीं होगी? क्या किरण बेदी, केजरीवाल और स्वामी जी कहीं नजर आएंगे?
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