Friday, August 26, 2011

दिल्ली करो रन

अन्ना ने हमारे वास्ते ही तो छोड़ा है अन, 
पर आज तक घर में ही बैठे हैं सारे जन।
क्या नहीं तड़पते हैं कुछ करने को मन,
कम से कम अब तो एक बार जाओ तन।
तो करप्शन के वास्ते दिल्ली करो रन,
...अब इतने खुदगर्ज तो ना जाओं बन।
इस जंग को ना समझो कोई फन,
वरना और तनेगी करप्शन की गन।

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