लाता मोबाइल
आता बिल
खाता निल
जाता हिल
गाता दिल।
है कोई माई का लाल-जिसके पास मोबाइल हो और उसने झूठ ना बोला हो। नहीं ना। यही कड़वा सच है- गांधी के देश में इस मशीन की आंधी। हर कोई झूठा-सब कुछ लूटा।
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एक आदमी रोटी बेलता है। एक आदमी रोटी खाता है। एक तीसरा आदमी bhi है, जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है, वो सिर्फ रोटी से खेलता है। मैं पूछता हूं वो तीसरा आदमी कौन है?, मेरे देश की संसद मौन है। सुदामा पांडे (धूमिल) अफसरों की कारस्तानी का, नेताओं की बेईमानी का, गुंडे-बदमाशों की मनमानी का, दौलत की रवानी का,अमीरों की राजधानी का, सिसकती जिंदगानी का। बेरोजगारों की बर्बाद जवानी का।
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