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एक आदमी रोटी बेलता है। एक आदमी रोटी खाता है। एक तीसरा आदमी bhi है, जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है, वो सिर्फ रोटी से खेलता है। मैं पूछता हूं वो तीसरा आदमी कौन है?, मेरे देश की संसद मौन है। सुदामा पांडे (धूमिल) अफसरों की कारस्तानी का, नेताओं की बेईमानी का, गुंडे-बदमाशों की मनमानी का, दौलत की रवानी का,अमीरों की राजधानी का, सिसकती जिंदगानी का। बेरोजगारों की बर्बाद जवानी का।
2 comments:
Desh ko ab sansad nahi,paisa nahi balki padhi likhi larkiyon ko gumrah kar unse deh wyopar krane wale bharua chlaange.
desh ko ab SANSAD NAHI ,PAISA NAHI BALKI PADHI LIKHI LARKIYON KO GUMRAH KAR DEH WYOPAR KARANE WALE BHARUAI CHLAYENGE.
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