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एक आदमी रोटी बेलता है। एक आदमी रोटी खाता है। एक तीसरा आदमी bhi है, जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है, वो सिर्फ रोटी से खेलता है। मैं पूछता हूं वो तीसरा आदमी कौन है?, मेरे देश की संसद मौन है। सुदामा पांडे (धूमिल) अफसरों की कारस्तानी का, नेताओं की बेईमानी का, गुंडे-बदमाशों की मनमानी का, दौलत की रवानी का,अमीरों की राजधानी का, सिसकती जिंदगानी का। बेरोजगारों की बर्बाद जवानी का।
1 comment:
देशपाल जी, नमस्कार
सबसे पहले तो आपका स्वागत है चिट्ठाजगत में.
मैंने मेल में जब ये देखा कि "देशपाल सिंह पंवार" तो बिना आपका प्रोफाइल देखे ही मैंने अंदाजा लगा लिया कि आप पक्के मेरठ के आस पास के ही रहने वाले हो. बिलकुल सच निकला मेरा अनुमान.
मैं भी मेरठ का ही हूँ.
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